457 आईपीसी की धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की एक धारा है जो आपराधिक अतिचार और घर में तोड़फोड़ के अपराध से संबंधित है। यह धारा उन कृत्यों को दंडित करती है जहां कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे या स्वामित्व वाली संपत्ति में प्रवेश करता है और नुकसान या क्षति पहुंचाता है।
धारा 457 आईपीसी की परिभाषा
धारा 457 आईपीसी के अनुसार, जो कोई भी किसी अन्य व्यक्ति की चल या अचल संपत्ति में जानबूझकर प्रवेश करता है और नुकसान या क्षति पहुंचाता है, उसे इस प्रकार दंडित किया जाएगा:
धारा 457 आईपीसी के तहत आने वाले कृत्य
धारा 457 आईपीसी के तहत आने वाले विशिष्ट कृत्यों में शामिल हैं:
कृत्य | सजा |
---|---|
किसी घर या इमारत में बिना अनुमति प्रवेश करना | 2 साल तक कारावास या 1000 रुपये तक जुर्माना या दोनों |
संपत्ति में तोड़फोड़ करना या नुकसान पहुंचाना | 2 साल तक कारावास या 1000 रुपये तक जुर्माना या दोनों |
किसी ताला या अन्य सुरक्षा उपाय को तोड़ना या हटाना | 2 साल तक कारावास या 1000 रुपये तक जुर्माना या दोनों |
धारा 457 आईपीसी से बचाव के विकल्प
धारा 457 आईपीसी के तहत अभियुक्त के पास कई बचाव के विकल्प हो सकते हैं, जैसे:
बचाव | विवरण |
---|---|
अनुमति | आरोपी को संपत्ति में प्रवेश करने या नुकसान पहुंचाने की अनुमति थी |
आकस्मिकता | नुकसान या क्षति आकस्मिक या अनजाने में हुई थी |
निजी रक्षा | आरोपी संपत्ति की रक्षा कर रहा था या खुद को नुकसान से बचा रहा था |
सफलता की कहानियां
निष्कर्ष
457 आईपीसी की धारा घर में तोड़फोड़ और आपराधिक अतिचार के मामलों से निपटने के लिए एक आवश्यक कानून है। यह धारा संपत्ति की सुरक्षा करती है और उन व्यक्तियों को दंडित करने का प्रावधान करती है जो जानबूझकर संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं या उसमें बिना किसी अनुमति के प्रवेश करते हैं। धारा 457 आईपीसी के प्रावधानों को समझना कानून का पालन करने वाले नागरिकों के लिए अपनी संपत्ति की रक्षा करने और अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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