अबिद कश्मीरी (1930-2014) एक प्रसिद्ध कश्मीरी कवि, लेखक और पत्रकार थे। उनकी रचनाओं ने कश्मीरी साहित्य को आकार दिया और उन्हें इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली लेखकों में से एक माना जाता है।
अबिद कश्मीरी का जन्म 1930 में श्रीनगर, कश्मीर में हुआ था। उन्होंने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी से उर्दू और अंग्रेजी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
कश्मीरी ने अपने साहित्यिक कैरियर की शुरुआत उर्दू में कविताएँ लिखकर की। हालाँकि, उन्हें उनकी कश्मीरी रचनाओं के लिए अधिक पहचान मिली। उन्होंने कई कविता संग्रह प्रकाशित किए, जिनमें शामिल हैं:
अपनी कविताओं के अलावा, कश्मीरी ने निबंध, नाटक और उपन्यास भी लिखे। उनकी रचनाओं को उनकी गहन भावनाओं, सामाजिक और राजनीतिक अंतर्दृष्टि और कश्मीरी भाषा के उनके अद्वितीय उपयोग के लिए सराहा गया।
कश्मीरी ने कई कश्मीरी समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए पत्रकार के रूप में काम किया। वह अपनी राजनीतिक टिप्पणी और कश्मीर मुद्दे पर अपने लेखों के लिए जाने जाते थे।
अपने जीवनकाल में, कश्मीरी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें शामिल हैं:
अबिद कश्मीरी का 2014 में निधन हो गया। उनकी रचनाएं कश्मीरी साहित्य में एक स्थायी विरासत बनी हुई हैं। उन्होंने कश्मीरी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और उनके लेखन ने पीढ़ियों के कश्मीरी लेखकों को प्रेरित करना जारी रखा है।
कश्मीरी की कविताएँ कश्मीरी जीवन और समाज की गहरी समझ प्रदर्शित करती हैं। उन्होंने प्रेम, नुकसान, अलगाव और राजनीतिक संघर्ष जैसे विषयों की खोज की। उनकी कविताएँ अपनी स्पष्टता, भावनात्मक गहराई और कश्मीरी भाषा के उनके कुशल उपयोग के लिए जानी जाती हैं।
कश्मीरी के गद्य लेखन में निबंध, नाटक और उपन्यास शामिल हैं। उनके निबंध सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनकी अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाते हैं, जबकि उनके नाटक कश्मीरी समाज की जटिलताओं और संघर्षों की पड़ताल करते हैं। उनका उपन्यास, "द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ अली मुहम्मद लोन", कश्मीर के इतिहास और संस्कृति का एक महाकाव्य चित्रण है।
एक पत्रकार के रूप में, कश्मीरी ने कश्मीर के political मुद्दे पर अपने लेखन के लिए ख्याति प्राप्त की। उन्होंने कश्मीरी लोगों के अधिकारों की वकालत की और भारतीय सरकार की कश्मीर नीतियों की आलोचना की। उनके लेखन ने कश्मीर मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने में मदद की।
एक बार, एक साहित्यिक कार्यक्रम में, कश्मीरी से पूछा गया कि क्या वह अपनी कविता का पाठ कर सकते हैं। कश्मीरी मुस्कुराए और कहा, "मैं एक कवि हूँ, डॉक्टर नहीं।"
1980 के दशक में, कश्मीर में राजनीतिक अशांति के समय, कश्मीरी को एक जेल में बंद कर दिया गया था। जेल के वार्डन ने उनसे पूछा, "आप यहाँ क्या कर रहे हैं?" कश्मीरी ने उत्तर दिया, "मैं कश्मीर का राष्ट्रगान लिख रहा हूँ।"
एक बार, एक राजनीतिज्ञ कश्मीरी से मिला और उससे पूछा, "आप कश्मीरी लोगों के लिए क्या कर सकते हैं?" कश्मीरी ने उत्तर दिया, "मैं उन्हें एक शब्दकोश दूंगा, ताकि वे समझ सकें कि आप क्या कह रहे हैं।"
अबिद कश्मीरी कश्मीरी साहित्य के दिग्गज थे। उनकी रचनाएँ कश्मीरी जीवन और समाज की एक शक्तिशाली और मार्मिक झलक प्रदान करती हैं। उन्होंने कश्मीरी भाषा और संस्कृति को समृद्ध किया, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया और पीढ़ियों के लेखकों को प्रेरित किया। उनकी विरासत कश्मीरी साहित्य में जारी रहेगी और आने वाले वर्षों में उन्हें मनाया जाता रहेगा।
नाम | विधा | वर्ष |
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तिथिलुग | कविता संग्रह | 1964 |
टुंकिल ते छलोक | कविता संग्रह | 1996 |
वटरस्पूल | कविता संग्रह | 2005 |
द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ अली मुहम्मद लोन | उपन्यास | 1998 |
कश्मीर: एक राजनीतिक इतिहास | गैर-काल्पनिक | 2002 |
पुरस्कार का नाम | सम्मानित निकाय | वर्ष |
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पद्म श्री | भारत सरकार | 2005 |
साहित्य अकादमी पुरस्कार | साहित्य अकादमी | 19 |
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